प्रिय पुत्र,
जब तुमने दुनिया में पहली बार कदम
रखा, और मैंने तुम्हें पहली बार अपनी
बाँहों में लिया तो तुम्हारी आँखे कस कर बन्द थीं और तुम्हारे छोटे – छोटे हाथों की मुट्ठियाँ भींची थीं....जिन्हें देखकर
मुझे विज्ञान में बताई गई बात की याद आ गई जिसमें बताया गया था की दिल का आकार
मुट्ठी जितना होता है। मैं तुम्हारे दिल की धड़कन सुन सकता था। मुझे ऐसा लगा की यह
तो जन्म का शाश्वत चमत्कार है। विवाह करने से पहले अकसर कुछ मित्रों के बीच बहस
होती थी कि “क्या दुनिया में किसी एक जीवन को
लाना वास्तव में तर्कसंगत है?” विशेष रूप
से जब आतंक हमारे जीवन के कैनवास में बदूसरत आवृर्ती विचार बन गया है? कल मुझे फिर इस प्रश्न ने कि क्या मैं
तुमको इस दुनिया में लाने में सही था या नहीं!?, घेर लिया!!!
यह पत्र इस
प्रश्न का उत्तर देने का एक प्रयास है जिसके द्वारा जो मेरे मन में है मैं तुम्हें
कह रहा हूँ। बेटे, मैं तुम्हारे लिए दुनिया की कल्पना नहीं कर सकता लेकिन मैं निश्चित
रूप से तुमको एक अनिश्चित दुनिया में जीने का रास्ता दिखा सकता हूँ। जीवन अनमोल है
और उतना ही कमजोर भी। हर दिन को एक उपहार मानो। सूर्योदय को देखने के लिए
कभी जल्दी उठो, उसकी किरणों को देखों और उस दृश्य, उस एहसास को अपनी स्मृति में अंकित
कर लो। अपने चारों ओर देखो, हर गुजरते पल को जियो, उन यादों को संजोओ। अपने परिवार
के साथ मिलकर खाना खाने का नियम बनाओं और माँ के बनाये खाने की प्रशंसा करों।पुस्तकों
से प्यार करो, पढ़ने की आदत डालो क्योंकि शब्द तुम्हें बाहर की दुनिया के बारे में
बहुत कुछ बतायेंगे। अपने दिल की सुनों क्योंकि मन तो एक बार डगमगा सकता है पर दिल नहीं। अपने विवेक का
उपयोग करो क्योंकि यह ईश्वर की तरफ से पोस्ट-इट नोट की तरह है। बड़े होकर तुम अपनी
मन चाही नौकरी की तलाश करोगे।उस समय तुम कैरियर और कॉकटेल की दुनिया में प्रवेश
करोगे,तुम ऐसे भंवर में फंस जाओगे जिससे दूर रहना भी कोई उपाय नहीं। लेकिन परेशान
मत होना। हम सब इंसान हैं लेकिन तुम अपने विवेक का प्रयोग कर इन सबसे निकलने का
साहस दिखाना और देखना कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि कुछ सच्चाईयों से परिचय हो जायेगा।
तुम सुकून महसूस करोगे। पैसा या धन यह
जीवन में महत्त्वपूर्ण है पर
सर्वोपरी नहीं। अपने लिए प्यार की तलाश करना, यह बहुत जरूरी है। अपने प्यार
की कद्र करना। एक अच्छा पति और एक धैर्यवान
पिता बनना। अपने बच्चों को गलती करने देना पर जब वे गिरें या लड़खडायें तो उन्हें सहारा
देना,पकड़ लेना।
हम सभी एक
लोकतंत्र में रहते हैं। माना इसमें अनेक कमियाँ हैं जिन्हें तुम पसंद नहीं करोगे लेकिन तुम इसके सकारात्म पहलू को मत भूलना। किसी भी
लोकतंत्र में लड़ाई याद करने और भूलने के बीच होती है। तुम वोट देकर उस समाज को
आकार दे सकते हो जिसमें तुम रहना चाहते हो। सतर्क रहकर जीना, डरकर नहीं।
यदि कभी
ऐसा हो कि तुम किसी परिस्थितिवश हमसे दूर हो भी जाओ तो कोई बात नहीं, अच्छी यादें
तो हमेशा साथ रहेंगी ही। बस पछतावा नहीं करना और निरन्तर अपने कार्य में लगे रहना।
प्यार,पापा
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