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हिन्दी - भाषा नहीं एक भावना

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भारत की प्यारी भाषा है हिन्दी, जग में सबसे न्यारी भाषा है हिंदी! जन-जन की भाषा है हिंदी, हिन्द को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा है हिंदी! कालजयी जीवनरेखा है हिंदी, जीवन की परिभाषा है हिंदी!  हिंदी की बुलंद ललकार से थी हमने आज़ादी पाई, हर देशवासी की थी इसमें भावना समाई! इसके मीठे बोलों में है ऐसी शक्ति, अपने ही नहीं, परायों को भी अपना कर लेती! हर भाषा को अपनी सखी-सहेली है मानती, ऐसी है हमारी अनूठी अलबेली हिंदी!   संस्कृत से निकलती है हिंदी की धारा, भारतेंदु जयशंकर ने इसे दुलारा! जहाँ निराला महादेवी ने इसको सँवारा, वहीं दिनकर और सुभद्रा ने इसको निखारा! ऐसे महापुरुषों की प्यारी है हिंदी, हिन्द का गुरूर है हिंदी!   विडम्बना है कि हिंदी को राष्ट्र धरोहर मानते हैं, फिर भी लोग हिंदी बोलने में सकुचाते हैं! वैदिक काल से चली आ रही भाषा को छोड़, विदेशी भाषा बोलने में अपनी झूठी शान मानते हैं! पर आज तो विदेशी भी ‘हरे रामा-हरे कृष्णा’ बोलकर, हिंदी संस्कृति के रंगों में रंग जाते हैं!   तत्सम, तद्भव, देशी-विदेशी सभी रंगों को अपनाती, जैसे भी बोलो यह मधुर ध्वनी सी हर के मन में बस जाती। जहाँ कुछ भाषाओं के

दिल्ली की मशहूर चूर चूर नान

आप सभी नान के बारे में जानते ही होंगे, अब आप सोच रहे होंगे इसमें कौन-सी नई बात है हमने नान को बनाया भी है खाया भी है। सही ...हाँ नान एक बहुत ही प्रसिद्ध पंजाबी डिश है जिसे अलग अलग तरह की स्टफिंग के साथ बनाकर तंदूर में सेंक कर तैयार किया जाता है पर इसे बिना तंदूर के तवे पर भी आसानी से बनाया जा सकता है। आज हम स्पेशल और खास अमृतसरी चूर चूर नान के बारे में बताने जा रहें हैं। जिसका मजा दिल्ली में ले सकते हैं। दिल्ली में पंजाबी खासकर अमृतसरी जायकों का लुत्फ उठाना हो तो पहाडग़ंज की देशबंधु गुप्ता रोड चले जाइए। यहाँ अमृतसर में परोसे जाने वाले स्वाद से लेकर पुरानी दिल्ली के चटपटे मसालों तक का स्वाद मिल जाएगा। इस रोड पर कदम-कदम पर चूर-चूर नान की दुकानें, खोमचे देखने को मिलेंगे पर इन सब में सबसे पुरानी दुकान है चावला की जो कि चूर-चूर नान के लिए काफी मशहूर है। चलिए इसके बारे जानते हैं ताकि आप भी इसके लजीज स्वाद का लुफ्त उठा सकें। चावला दे मशहूर अमृतसरी चूर-चूर नान' नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पुल पार करके पहाड़गंज चौक की तरफ चलेंगे तो उससे पहले राइट साइड पर मुल्तानी ढांडा चौक पर खाने-पीने की कई

स्वास्थ्य का राज छिपाये...मिट्टी के बर्तन

भारत में प्राचीन काल में मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाया जाता था। जो स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद होता था इसलिए लोग पहले बीमार भी कम पड़ते थे। लेकिन विज्ञान ने जैसे-जैसे तरक्की की वैसे-वैसे लोगों के किचन से मिट्टी के बर्तन मानो गायब हो गए। अब आमतौर पर घरों में खाना बनाने व खाने के लिए एल्युमीनियम, स्टील या नॉनस्टिक बर्तनों का प्रयोग किया जाता है और मिट्टी के बर्तनों की यह परंपरा बस दही की हांडी और मटकों तक सीमित रह गई। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि मिट्टी के बर्तनों में बना खाना हेल्‍थ के लिए बहुत अच्‍छा होता है। इन फायदों को देखते हुए बाजार में यह ट्रेंड फिर से दिखाई दे रहा है। लोगों का रुझान मिट्टी के बने बर्तनों की ओर बढ़ रहा है। महिलाएं खाना बनाने से लेकर खाना खाने तक और पानी के लिए भी मिट्टी के बर्तनों का इस्‍तेमाल कर रही हैं। तो आइए जानते हैं मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने व खाने के फायदों के बारे में - शरीर रहता है निरोगी- जी हाँ, हमारी बॉडी को रोजाना 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत होती है जैसे कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, सल्‍फर, आयरन, सिलिकॉन, कोबाल्ट, जिप्सम आदि जो

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