सुमन ने कहा, “भाई, दादी कई बार कह चुकी हैं कभी मुझे भी अपने साथ होटल ले जाया करो! इस बार रविवार को दादी के साथ बाहर खाने का प्रोग्राम बनायें!?” सनी बोला, " वो तो ठीक है पर चार लोगों के खाने पर कितना खर्च होगा। चारों के डिनर के लिये, हमारे पास अभी इतने पैसे कहाँ हैं।“ तब सुमन और सोनू ने कहा, “हमारे पास पॉकेटमनी के कुछ पैसे बचे हैं! और होटल में जाकर अधिक मँहगी सब्जी नहीं मँगायेंगे बाद में आइसक्रीम भी नहीं खायेंगे तो काम हो जायेगा।“
फिर तीनों ने तय किया कि इस बार दादी को पक्का लेकर चलेंगे! वे तीनों खुशी- खुशी दादी के कमरे में गये और बोले, "दादी! खुश हो जाओ! इस रविवार को हम सब होटल जायेंगे लंच करने!" दादी ने खुश होकर कहा, "तुम इस बुढ़िया को ले चलोगे अपने साथ!?" तीनों एक साथ बोले "बूढ़े हो तुम्हारे दुश्मन दादी! तो तय रहा सन्डे को लंच बाहर!" संडे को दादी सुबह से ही बहुत खुश थीं। आज उन्होंने अपना सबसे बढ़िया सूट पहना, हल्का सा मेकअप किया और बालों को नये ढंग से बाँधा। सुनहरे फ्रेमवाला नया चश्मा लगाया। वह इस चश्में को कभी-कभी ही पहनती थीं! कहती थीं, इतना सुन्दर फ्रेम है, पहनूँगी तो पुराना हो जायेगा। दादी आज शीशे में खुद को अलग -अलग एंगिल से कई बार देख चुकी थीं।
बच्चे दादी को बुलाने आये तो सुमन दादी को देखकर बोली,"अरे वाह दादी, आज तो आप बड़ी क्यूट लग रही हैं" सनी ने कहा," आज तो दादी ने गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा पहना है। क्या बात है दादी किसी ब्यायफ्रैंड को भी बुला रखा है क्या" यह सुनकर दादी शर्माते हुए बोली, " धत्" चलो जल्दी।
चोरों होटल में सेंटर टेबल पर बैठ गए! थोडी देर बाद वेटर आर्डर लेने आया तो सनी के बोलने से पहले ही दादी बोल उठी," आज आर्डर मैं करूँगी क्योंकि आज की स्पेशल गैस्ट मैं हूँ ना।" दादी ने वेटर को ऑर्डर लिखवाया, ”दालमखनी, कढाईपनीर, मलाईकोफ्ता, रायता, सलाद, पापड, नान और मिस्सी रोटी और हाँ, खाने से पहले चार सूप भी। सुमन का मनपसंद टमाटर का सूप पीयेंगे आज!”
ऑर्डर सुन तीनों बच्चे एक दूसरे का मुँह देखने लगे पर दादी से कुछ कहने की उनकी हिम्मत नहीं हुई। थोडी देर बाद खाना टेबल पर लग गया। सारा खाना तीनो की पसंद का था, सबके मुंह में पानी तो आ रहा था लेकिन चिंता भी थी कि बिल कैसे भरेंगे! खाना खत्म होने के बाद वेटर ने डेजर्ट के लिए पूछा तो दादी ने फिर जल्दी से चार कप आइसक्रीम का ऑर्डर दे दिया। वेटर बिल लेकर आया, गौरव के लेने से पहले ही बिल दादी ने उठा लिया और कहा," आज का पेमेंट मैं करूँगी।“ बच्चे दादी का मुँह देखने लगे। तब दादी बोली, “बच्चों मुझे तुम्हारे पर्स की नहीं,तुम्हारे समय की आवश्यकता है, तुम्हारे साथ की आवश्यकता है।मैं पूरा दिन अपने कमरे में अकेली पडे- पडे बोर हो जाती हूँ। टी.वी. भी कितना देखूँ। बच्चों क्या अपना थोड़ा- सा समय मुझे दोगे!?" यह कहते कहते दादी की आवाज भर्रा गई।
सुमन अपनी चेयर से उठकर दादी के पास आई और उन्हें अपनी बाँहों में भर कर बोली,मेरी प्यारी दादी जरूर।" सनी और सोनू ने भी कहा दादी, हम प्रॉमिस करते हैं, कि रोज आपके पास बैठा करेंगे और हर महीने के दूसरे संडे को लंच या डिनर के लिए बाहर आया करेंगे और पिक्चर भी देखा करेंगे।" यह सुनकर दादी के होठों पर 1000 वाट की मुस्कुराहट तैर गई।
बूढ़े मां-बाप रूई के गट्ठर के समान होते हैं,शुरू में उनको बोझ नहीं महसूस होता, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ जैसे रुई भीग कर बोझिल होने लगती है वैसे जिंदगी की थकान बोझ लगती है। हमारे बुजुर्ग हमसे समय चाहते हैं पैसा नही,पैसा तो उन्होंने सारी जिंदगी आपके लिए कमाया की बुढ़ापे में आप उन्हें समय देंगे उनका सहारा बनेंगे। चाहें एक वृक्ष से फल न भी मिले, किन्तु छाया सुकून प्रदान करती है। इसलिए थोड़ा समय उन वृद्ध माता-पिता को अवश्य दें जिन्होंने अपनी सारी जिंदगी आपको बनाने में लगा दी...आपका भी फर्ज है उनका ध्यान रखें ताकि उन्हें अपनी जिंदगी बोझ न लगे वे खुश रहें।
भूलो सभी को तुम मगर, माँ-बाप को कभीभूलो नहीं
उपकार अगणित हैं उनके, इस बात को कभी भूलो नहीं।
लाखो कमाते हो भले, माता-पिता से ज्यादा नहीं
सेवा बिना सब राख है, मद में कभी भूलो नहीं।
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