घूंघट...शर्म का पर्याय ?
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रीता शादी के बाद विदा होकर ससुराल आई…कुछ रीति रिवाजों के बाद सास ने नहा धोकर मुँह दिखाई की रस्म के लिए जल्दी से तैयार होने के लिए कहा। वह तैयार होकर बाहर आई तो उसे देखते ही सास ने झटसे घूंघट करने को कहा! मिलने आये सब लोगों के जाने के बाद सास ने रीता को सुनाते हुए कहा, “अच्छे घर की बहू सिर पर पल्ला लेकर रखती हैं ...।“ रीता अब तक तो सलवार कुर्ते आदि में काम करती आई थी इससे पहले साड़ी उसने एक दो बार ही किसी उत्सव में ही पहनी थी…उसके ऊपर से हमेशा घूंघट रखना.काफी कठिन था। सिर से पल्ला बार-बार गिरता रहता था और पल्ले के हटते ही सास फौरन टोक देती, “बहू सिर पर घूंघट रखने की आदत डाल लो!” रीता चुपचाप सिर हिलाकर चुप रह जाती। रीता की बड़ी ननद जो उसे परेशान होते देख रही थी उसने अपनी माँ से कहा, “मम्मी भाभी पढ़ी लिखी हैं और उन्हें साड़ी पहनने की आदत भी नहीं है और ऊपर से घूंघट, काम करना कितना मुश्किल है। वैसे सिर पे पल्ला करने की क्या जरूरत है!” तू नहीं समझेगी रीता की सास ने झुझंलाते हुए कहा..” कल को लोग मुझे ही कहेंगे मैंने अपनी बहू को बड़ों की इज्जत करना नहीं सिखाया है। मुझे ये सब नहीं सुनना है।“ अपनी माँ की बात सुनकर वह बोली, “माँ यदि सिर पर पल्ला रखने,घूंघट करने से ही किसी की शर्म हया और इज्जत करना माना जाता है तो मैं अपनी ससुराल में घूघंट नहीं करती तो इसका मतलब हम किसी की इज्जत ही नहीं करते। माँ शर्म और इज्जत आँखों में होती है न कि घूघंट करने से। माँ तुम ही सोचो यदि आप ऐसे ही भाभी को टोकती रहोगी तो क्या वास्तव में वे दिल से आपकी इज्जत कर पायेंगी। नहीं ना!” बेटी की बात सुनकर रीता
की सास ने रीता की तरफ देखा और एक मिश्रित भाव से बोली, “तू नहीं समझेगी!”
हमारे समाज ने घूंघट
को शर्म का पर्यायवाची भले ही बना दिया हो लेकिन ऐसा
नही हैं!! असल बात यह है कि शर्म तो व्यक्तित्व का हिस्सा होता है..उसे
घूंघट या आँचल के रखे जाने से जोड़ना सही है?.....समयानुसार रीतिरिवाजों में परिवर्तन करना समझदारी भी है और ज़रूरी भी। महिलाएं बाहर भी काम करें और उनसे घूंघट की उम्मीद भी की जाये तो क्या यह उनके साथ न्याय होगा? वास्तव में रीति-रिवाजों को उसी सीमा तक निभाना चाहिए जो हमारे लिए उलझन या बेड़ियाँ न बन जायें। और इस प्रथा से एक सवाल उठाना लाज़मी है:
बड़ों की इज्जत घूंघट और सर ढकने से ही होती है तो क्या
पुरुष कभी किसी की इज्जत नहीं करते?
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