मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा,
सुर की नदियाँ हर दिशा से बहते सागर में मिले,
बादलों का रूप लेकर बरसे हल्के- हल्के,
मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा,
मिले सुर.....
जब भी मैं किसी भी विचलित
करने वाली घटना के विषय में सुनती हूं तो मुझे यही महान रचना याद आती है और दिल
चाहता है काश यह गीत सभी के कानों में हर वक्त गूँजता रहे ताकि मन में आने वाले
गलत विचार इस मार्मिक ध्वनि से धुलकर बह जाये।
हाँ, मैं बात कर रही हूँ 1988
में रची गई उस रचना की जिसने की सालो तक हिंदुस्तानी दिलों की धड़कनों में गीत -
संगीत भर दिया था- मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा..। हमारे देश के तीन
महान गायकों पंडित भीमसेन जोशी, डॉ. बालमुरली और लता मंगेशकर की हृदय को छू लेने
वाली आवाजें,दिलों के दरवाजे खोलने को दस्तक देता संगीत, दिल की भाषा में ही लिखा
गया गीत और इस सबको स्वीकार करने का आग्रह करते अमिताभ बच्चन, कमलहासन,
मृणालसेन,मारियो मिरांडा, प्रकाश पादुकोन, अरूणलाल, वैंकट राघवन, शबाना आजमी,
वहीदा रहमान, शर्मिला टैगोर जैसी अनेक हस्तियाँ। लगभग 6 मिनट 9 सैकेंड की यह रचना
सालों तक मानव मन को झकझोरती(क्षमता) रहेगी।
बहुत कम लोग जानते हैं इस
गीत की रचना के पीछे की छिपी कहानी को। उस समय देश के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी थे,
वे भारत को 21वीं शताब्दी में ले जाने के स्वप्न में मग्न थे पर उस समय के खराब
हालात को देखकर विचलित थे उन्हे लगता था कि उनकी भाषा और अभिव्यक्ति वह जादू नहीं
कर पा रही है जिसकी वे अपेक्षा कर रहे थे। वे राष्ट्र को एकजुटता का आह्वान करना
चाहते थे, ऐसे में उनके सलाहकारों ने संगीतमय आह्वान का विचार रखा।
दूरदर्शन द्वारा इस
प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी विख्यात एड ऐजेंसी ओगिलवी एंड मेथर को सौंपी गई। उस समय
संस्था के प्रमुख (स्व.)सुरेश मलिक को कहा गया कि भारतीय संगीत, शास्त्रीय
संगीत,कर्नाटक संगीत,लोक संगीत और मार्डन म्यूजिक को गूँथकर अनेकता में एकता की
भावना को प्रवाहित करने वाले एक वीडियो गीत की रचना करनी है, जिसका प्रसारण 15
अगस्त 1988 से दूरदर्शन पर होगा। उसी समय सुरेश मलिक ने तय किया कि यह गीत राग
भैरवी में होगा और देश की विभिन्न भाषाओं को इसमें सम्मिलित किया जाएगा। गीत की
रचना के लिए अनेक विख्यात गीतकारों से संपर्क किया गया।
पर तब कार्य कंपनी के युवा
रचनाशील एकाउंट मैनेजर पीयूष पांडे को सौंपा गया। अट्ठारह असफल कोशिशों के बाद जब
उन्होने कहा- मिले सुर मेरा तुम्हारा.. तो ऑफिस में सब खुशी से उछल पड़े। अब इन
शब्दों को विस्तार देकर 13 भाषाओं में रूपांतरित किया गया। संगीत की जिम्मेदारी
विख्यात संगीतकार लुई बैंक्स और (स्व.)पी वैद्यनाथन को सौंपी गई। आवाजें भीमसेन
जोशी, लता मंगेशकर और बालमुरली कृष्णन और पर्दे पर उसे गाते विभिन्न क्षेत्रों के
सितारे।
15 अगस्त 1988 को प्रधानमंत्री के लालकिले से राष्ट्र को संबोधित करने के
बाद इस गीत का पहला प्रसारण दूरदर्शन से किया गया देखते-देखते इस गीत का जादू सारे
देश पर छा गया।इस गीत की रचना के इतने सालों बाद भी इस के सुरों में वही जादू समाया
हुआ है।
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