हिन्दी - भाषा नहीं एक भावना

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भारत की प्यारी भाषा है हिन्दी, जग में सबसे न्यारी भाषा है हिंदी! जन-जन की भाषा है हिंदी, हिन्द को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा है हिंदी! कालजयी जीवनरेखा है हिंदी, जीवन की परिभाषा है हिंदी!  हिंदी की बुलंद ललकार से थी हमने आज़ादी पाई, हर देशवासी की थी इसमें भावना समाई! इसके मीठे बोलों में है ऐसी शक्ति, अपने ही नहीं, परायों को भी अपना कर लेती! हर भाषा को अपनी सखी-सहेली है मानती, ऐसी है हमारी अनूठी अलबेली हिंदी!   संस्कृत से निकलती है हिंदी की धारा, भारतेंदु जयशंकर ने इसे दुलारा! जहाँ निराला महादेवी ने इसको सँवारा, वहीं दिनकर और सुभद्रा ने इसको निखारा! ऐसे महापुरुषों की प्यारी है हिंदी, हिन्द का गुरूर है हिंदी!   विडम्बना है कि हिंदी को राष्ट्र धरोहर मानते हैं, फिर भी लोग हिंदी बोलने में सकुचाते हैं! वैदिक काल से चली आ रही भाषा को छोड़, विदेशी भाषा बोलने में अपनी झूठी शान मानते हैं! पर आज तो विदेशी भी ‘हरे रामा-हरे कृष्णा’ बोलकर, हिंदी संस्कृति के रंगों में रंग जाते हैं!   तत्सम, तद्भव, देशी-विदेशी सभी रंगों को अपनाती, जैसे भी बोलो यह मधुर ध्वनी सी हर के मन में बस जाती। जहाँ कुछ भाषाओं के

रखें आपदाओं में खुद को सुरक्षित....


प्रकृति में होने वाले अकस्मात एवं नुकसानदायक परिवर्तन , जिससे जन जीवन प्रभावित होता है प्राकृतिक आपदाएं कहलाती हैं। प्राकृतिक आपदायें जैसे- भूकम्प, सुनामी, भूस्खलन, ज्वालामुखी, सूखा, बाढ़, हिमखण्डों का पिघलना आदि हैं। जब प्रकृति में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है, तब आपदायें आती हैं जिसके कारण विकास बाधित होता है।  इन आपदाओं पर धैर्य, विवेक, सहयोग व प्रबंधन से ही काबू पाया जा सकता है। जिस क्षेत्र मे आपदा आती है तो वहाँ पर रहने वाले मनुष्यों का ही नहीं बल्कि जीव- जन्तुओं का सामान्य जीवन भी प्रभावित होता है। तूफान हुड हुड के कारण उड़ीसा मे काफी नुकसान हुआ। राजस्थान सहित उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में आये तूफ़ान ने भी काफी नुकसान किया है। वैसे तो इन सभी प्राकृतिक आपदाओं को रोकना असंभव है इसलिए सभी को इन से बचाव के बारे मे जानकारी होनी चाहिए।

 कुछ बचाव के उपाय जिनसे इन आपदाओं से होने वाले नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है-

१. अपने घरों की छत पर रखा ऐसा सामान हटा लें जो आंधी में उड़ सकता है। छत पर रखा सामान उड़कर नीचे गिरने से आपको या आपके परिवार या अन्‍य व्‍यक्तियों को चोट पहुँचा सकता है।

२. अगर आपकी छत पर प्‍लास्टिक की पानी की टंकी लगी है तो उसे पूरा भर दें। खाली न रखें। खाली टंकी या कम पानी के कारण टंकी हवा से नीचे गिर सकती है।

३. अगर आपके घर के अंदर या उसके पास पेड़ है तो उसकी ऐसी टहनियां जो आपके मकान की छत तक आ रही हैं उनको काटकर छोटा कर दें। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्‍योंकि आंधी की वजह से अगर टहनियां आपके मकान पर आ गिरी तो मकान को भारी नुकसान हो सकता है।

४. चूल्‍हे, तंदूर या अन्‍य किसी काम के लिए जलाई गई आग को काम समाप्‍त होते ही पूरी तरह बुझा दें। क्योंकि तेज आंधी में यह आग भयंकर रूप ले सकती है। चूल्‍हे से हवा से उड़ी आग आपके घर या पड़ोसियों के घर को जला सकती है।

५. यदि बहुत जरूरी हो तो ही यात्रा करें, आंधी आने पर गाड़ी को किसी सुरक्षित जगह पर खड़ी कर लें।

६. घर के अंदर हैं तो खिड़कियों से दूर रहें। घर के बाहर हैं तो ऐसी जगह खड़े हों जहाँ आसपास लंबे पेड़, दीवार, बिजली का खंभा या धातु के उपकरण न हों।

६. गाड़ी के अंदर रेडियो न चलाएं। रेडियो चलाने से आप आसमानी बिजली की चपेट में आ सकते हैं।

७. खिड़कियां और दरवाजे अच्छी तरह बंद करने के बाद इनके आसपास कोई भारी सामान रख दीजिए। इससे तेज हवा से झटका लगने पर खिड़की-दरवाजे नहीं खुलेंगे।

८. जब आंधी आए तो घर के अंदर ही रहें। दरवाजे बंद कर लें। छत या बालकनी पर बिल्‍कुल न जाएं। क्योंकि आंधी में बहुत ताकत होती है। वह आपको उड़ा सकती है या फिर किसी भारी वस्‍तु को कहीं से भी उठाकर आप पर गिरा सकती है।

९. किसानों को आंधी आने पर पशुओं को पेड़ों के नीचे और टीन शेड से बने मकानों में नहीं बांधना चाहिए। टीन के शेड आंधी में बहुत जल्‍दी उड़ते हैं और ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।

१०. अगर आप खुले में हैं और आपको कोई सुरक्षित जगह दिखाई न दें तो जमीन पर लेट जाएं। किसी खाई या खेत की मेड़ की ओट में लेटने से आप उड़ती हुई चीजों की चपेट में आने से बच सकते हैं।

११. घर में बिजली के सभी उपकरणों को बंद कर दें। उपकरणों के स्विच प्‍लग से निकाल दें, केवल बटन से ही उन्‍हें ऑफ न करें। जब तक आंधी चले तब तक घर में लगे इन्‍वर्टर को भी बंद कर दें। बिजली सप्‍लाई चालू रहने से करंट और आग लगने का खतरा बढ जाता है।

१२. आंधी-तूफान की गति व अन्य मार्गों की जानकारी संचार माध्यमों से करते रहें। अपने परिवार व समुदाय के लोगों को संभावित खतरे के प्रति सावधान करा दें।

१३.आपातकालीन सामग्री, आवश्यक खाद्य पदार्थ, मेडिकल किट, टॉर्च, बैटरी आदि तैयार रखें, क्योंकि इस समय बिजली गुल होने की अधिक सम्भावना रहती है।

१४. जब तक मौसम साफ न हो या आधिकारिक सूचना न मिले, तब तक पूरी तरह सावधान रहें, घर लौटने के लिए बताए गए मार्ग का ही प्रयोग करें।

इन कुछ उपायों का अनुसरण करें और दूसरों को इनके बारे में अवगत कराएं .......


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