प्रकृति में होने वाले अकस्मात एवं
नुकसानदायक परिवर्तन , जिससे जन जीवन प्रभावित होता है प्राकृतिक आपदाएं
कहलाती हैं। प्राकृतिक आपदायें जैसे- भूकम्प, सुनामी,
भूस्खलन, ज्वालामुखी, सूखा,
बाढ़, हिमखण्डों का पिघलना आदि हैं। जब प्रकृति में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है, तब
आपदायें आती हैं जिसके कारण विकास बाधित होता है। इन
आपदाओं पर धैर्य, विवेक, सहयोग व
प्रबंधन से ही काबू पाया जा सकता है। जिस क्षेत्र मे आपदा आती है तो वहाँ पर रहने
वाले मनुष्यों का ही नहीं बल्कि जीव- जन्तुओं का सामान्य जीवन भी प्रभावित होता है। तूफान हुड हुड के कारण उड़ीसा मे काफी नुकसान हुआ। राजस्थान सहित उत्तर
भारत के कई क्षेत्रों में आये तूफ़ान ने भी काफी नुकसान किया है। वैसे तो इन सभी
प्राकृतिक आपदाओं को रोकना असंभव है इसलिए सभी को इन से बचाव के बारे मे जानकारी
होनी चाहिए।
कुछ बचाव के उपाय जिनसे इन आपदाओं से होने वाले
नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है-
१. अपने घरों की छत पर रखा ऐसा सामान हटा लें जो आंधी में उड़ सकता
है। छत पर रखा सामान उड़कर नीचे गिरने से आपको या आपके परिवार या अन्य व्यक्तियों
को चोट पहुँचा सकता है।
२. अगर आपकी छत पर प्लास्टिक की पानी की टंकी लगी है तो उसे पूरा
भर दें। खाली न रखें। खाली टंकी या कम पानी के कारण टंकी हवा से नीचे गिर सकती है।
३. अगर आपके घर के अंदर या उसके पास पेड़ है तो उसकी ऐसी टहनियां जो
आपके मकान की छत तक आ रही हैं उनको काटकर छोटा कर दें। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि
आंधी की वजह से अगर टहनियां आपके मकान पर आ गिरी तो मकान को भारी नुकसान हो सकता
है।
४. चूल्हे, तंदूर या अन्य किसी काम के लिए
जलाई गई आग को काम समाप्त होते ही पूरी तरह बुझा दें। क्योंकि तेज आंधी में यह आग
भयंकर रूप ले सकती है। चूल्हे से हवा से उड़ी आग आपके घर या पड़ोसियों के घर को जला
सकती है।
५. यदि बहुत जरूरी हो तो ही यात्रा करें, आंधी
आने पर गाड़ी को किसी सुरक्षित जगह पर खड़ी कर लें।
६. घर के अंदर हैं तो खिड़कियों से दूर रहें। घर के बाहर हैं तो ऐसी
जगह खड़े हों जहाँ आसपास लंबे पेड़, दीवार, बिजली का खंभा या धातु के उपकरण न हों।
६. गाड़ी के अंदर रेडियो न चलाएं। रेडियो चलाने से आप आसमानी बिजली
की चपेट में आ सकते हैं।
७. खिड़कियां और दरवाजे अच्छी तरह बंद करने के बाद इनके आसपास कोई
भारी सामान रख दीजिए। इससे तेज हवा से झटका लगने पर खिड़की-दरवाजे नहीं खुलेंगे।
८. जब आंधी आए तो घर के अंदर ही रहें। दरवाजे बंद कर लें। छत या
बालकनी पर बिल्कुल न जाएं। क्योंकि आंधी में बहुत ताकत होती है। वह आपको उड़ा सकती
है या फिर किसी भारी वस्तु को कहीं से भी उठाकर आप पर गिरा सकती है।
९. किसानों को आंधी आने पर पशुओं को पेड़ों के नीचे और टीन शेड से
बने मकानों में नहीं बांधना चाहिए। टीन के शेड आंधी में बहुत जल्दी उड़ते हैं और
ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
१०. अगर आप खुले में हैं और आपको कोई सुरक्षित जगह दिखाई न दें तो
जमीन पर लेट जाएं। किसी खाई या खेत की मेड़ की ओट में लेटने से आप उड़ती हुई चीजों
की चपेट में आने से बच सकते हैं।
११. घर में बिजली के सभी उपकरणों को बंद कर दें। उपकरणों के स्विच
प्लग से निकाल दें, केवल बटन से ही उन्हें ऑफ न करें। जब
तक आंधी चले तब तक घर में लगे इन्वर्टर को भी बंद कर दें। बिजली सप्लाई चालू
रहने से करंट और आग लगने का खतरा बढ जाता है।
१२. आंधी-तूफान की गति व अन्य मार्गों की जानकारी संचार माध्यमों से
करते रहें। अपने परिवार व समुदाय के लोगों को संभावित खतरे के प्रति सावधान करा
दें।
१३.आपातकालीन सामग्री, आवश्यक खाद्य पदार्थ,
मेडिकल किट, टॉर्च, बैटरी
आदि तैयार रखें, क्योंकि इस समय बिजली गुल होने की अधिक
सम्भावना रहती है।
१४. जब तक मौसम साफ न हो या आधिकारिक सूचना न मिले, तब तक पूरी तरह सावधान रहें, घर लौटने के लिए बताए
गए मार्ग का ही प्रयोग करें।
इन कुछ उपायों का अनुसरण करें और दूसरों को इनके बारे में अवगत
कराएं .......
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