संदेश

सितंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिन्दी - भाषा नहीं एक भावना

चित्र
भारत की प्यारी भाषा है हिन्दी, जग में सबसे न्यारी भाषा है हिंदी! जन-जन की भाषा है हिंदी, हिन्द को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा है हिंदी! कालजयी जीवनरेखा है हिंदी, जीवन की परिभाषा है हिंदी!  हिंदी की बुलंद ललकार से थी हमने आज़ादी पाई, हर देशवासी की थी इसमें भावना समाई! इसके मीठे बोलों में है ऐसी शक्ति, अपने ही नहीं, परायों को भी अपना कर लेती! हर भाषा को अपनी सखी-सहेली है मानती, ऐसी है हमारी अनूठी अलबेली हिंदी!   संस्कृत से निकलती है हिंदी की धारा, भारतेंदु जयशंकर ने इसे दुलारा! जहाँ निराला महादेवी ने इसको सँवारा, वहीं दिनकर और सुभद्रा ने इसको निखारा! ऐसे महापुरुषों की प्यारी है हिंदी, हिन्द का गुरूर है हिंदी!   विडम्बना है कि हिंदी को राष्ट्र धरोहर मानते हैं, फिर भी लोग हिंदी बोलने में सकुचाते हैं! वैदिक काल से चली आ रही भाषा को छोड़, विदेशी भाषा बोलने में अपनी झूठी शान मानते हैं! पर आज तो विदेशी भी ‘हरे रामा-हरे कृष्णा’ बोलकर, हिंदी संस्कृति के रंगों में रंग जाते हैं!   तत्सम, तद्भव, देशी-विदेशी सभी रंगों को अपनाती, जैसे भी बोलो यह मधुर ध्वनी सी हर के मन में बस जाती। जहाँ कुछ भाषाओं के

जन्माष्टमी के दिन..घर पर ही स्वागत करें लड्डू गोपाल का...

चित्र
राधे जी का प्रेम, मुरली की मिठास,  माखन का स्वाद, गोपियों का रास,  इन्ही से मिलकर बनता है  जन्माष्टमी का दिन ख़ास!!! सर्वप्रथम सभी को कृष्ण जन्मोत्सव की बधाई....     श्री कृष्ण जन्माष्टमी भारत में ही नहीं अपितु भारत से बाहर कई देशों में भी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। यह तो हम सभी जानते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है।   उन के जन्म के विषय में कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा के राजा कंस के बढ़ते अत्याचारों से लोगों को मुक्ति दिलाने व पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए नारायण के अवतार के रुप में कंस की बहन देवकी की कोख से जन्म लिया। ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को ठीक 12 बजे मथुरा में कृष्णजी का जन्म हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को सजाया जाता है, कृष्ण जन्म से संबंधित झांकियां सजाई जाती हैं। जगह-जगह दही-हांड़ी के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और बहुत से मंदिरों में रासलीला का भी आयोजन किय

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हाथी घोड़ा पाल की...जय कन्हैया लाल की..!!

यादें याद आती हैं....बातें भूल जाती हैं....

माता-पिता ईश्वर की वो सौगात हैं, जो हमारे जीवन की अमृतधार है!