संदेश

मई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिन्दी - भाषा नहीं एक भावना

चित्र
भारत की प्यारी भाषा है हिन्दी, जग में सबसे न्यारी भाषा है हिंदी! जन-जन की भाषा है हिंदी, हिन्द को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा है हिंदी! कालजयी जीवनरेखा है हिंदी, जीवन की परिभाषा है हिंदी!  हिंदी की बुलंद ललकार से थी हमने आज़ादी पाई, हर देशवासी की थी इसमें भावना समाई! इसके मीठे बोलों में है ऐसी शक्ति, अपने ही नहीं, परायों को भी अपना कर लेती! हर भाषा को अपनी सखी-सहेली है मानती, ऐसी है हमारी अनूठी अलबेली हिंदी!   संस्कृत से निकलती है हिंदी की धारा, भारतेंदु जयशंकर ने इसे दुलारा! जहाँ निराला महादेवी ने इसको सँवारा, वहीं दिनकर और सुभद्रा ने इसको निखारा! ऐसे महापुरुषों की प्यारी है हिंदी, हिन्द का गुरूर है हिंदी!   विडम्बना है कि हिंदी को राष्ट्र धरोहर मानते हैं, फिर भी लोग हिंदी बोलने में सकुचाते हैं! वैदिक काल से चली आ रही भाषा को छोड़, विदेशी भाषा बोलने में अपनी झूठी शान मानते हैं! पर आज तो विदेशी भी ‘हरे रामा-हरे कृष्णा’ बोलकर, हिंदी संस्कृति के रंगों में रंग जाते हैं!   तत्सम, तद्भव, देशी-विदेशी सभी रंगों को अपनाती, जैसे भी बोलो यह मधुर ध्वनी सी हर के मन में बस जाती। जहाँ कुछ भाषाओं के

कॉस्मेटिक का उपयोग.....कितना जरूरी

हर उम्र में सुन्दर और आकर्षक दिखने की चाह इंसान की आज से नहीं सदियों पुरानी है। विभिन्न शोधों से पता चलता है कि सभ्यता के विकास के साथ ही इंसान ने सुंदरता की समझ विकसित कर ली थी परन्तु बरसों पहले आधुनिक समय की तरह न तो कॉस्मेटिक्स का बोलबाला था और न ही सौंदर्य प्रसाधनों पर हजारों रूपये खर्च किये जाते थे। प्राचीन काल में सौंदर्य प्रसाधन में प्राकृतिक चीजों जैसे चंदन, अंडा, केसर, हल्दी, दूध, गुलाब जल, मेंहदी, बेसन आदि का ही इस्तेमाल किया जाता था। समय के साथ, लोगों की जरूरतों के साथ कॉस्मेटिकस की दुनिया भी बदलती गयी। उदाहरणस्वरूप, पहले फेयरनेस क्रीम में स्नो- व्हाइट क्रीम, विको टर्मरिक, फेयर एंड लवली मुख्य हुआ करती थीं, लेकिन आज बाजार में त्वचा के लिए क्रीमों की भरमार है। कॉस्मेटिक के उपयोग से पहले कॉस्मेटिक के इतिहास के बारे में जानना आवश्यक है। मैक्स फैक्टर को कॉस्मेटिक्स का जन्मदाता माना जाता है जिन्होंने बालों व त्वचा को कोमल व चिकना रखने वाली चीजें सेंटलुइस के स्थानीय रंगमंच के कलाकारों को बेचना शुरू किया। उन्होंने त्वचा के लिए एक शुष्क क्रीम बनाई, जिसके द्वारा फिल्मों में पहली बार

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हाथी घोड़ा पाल की...जय कन्हैया लाल की..!!

यादें याद आती हैं....बातें भूल जाती हैं....

माता-पिता ईश्वर की वो सौगात हैं, जो हमारे जीवन की अमृतधार है!